29- 08- 22धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 21
ज़ोया को उसके घर की गली में छोड़ने के बाद हम्माद सीधा चाय की टपरी पर चला गया अपने दोस्तों के पास उन्हें बताने की वो मुंबई जा रहा है ऑडिशन के लिए।
"मुबारका भाई, मुबारका मेरा भाई अब हीरो बनने जा रहा है " उसके एक दोस्त ने गले लगाते हुए कहा
"पेसो का भी इंतेज़ाम कर लिया या नही, मुंबई बहुत दूर है और बहुत महंगा शहर है, सुना है बहुत पैसे लगते है वहा जाने के लिए, तेरा अब्बा तो तुझे देने से रहा, वो भी इस काम के लिए," उसके एक दोस्त ने उसकी हसीं बनाते हुए कहा
हम्माद थोड़ा चिड़ा और बोला " तुम लोगो को पैसे की चिंता करने की ज़रुरत नही उसका इंतेज़ाम हो गया है "
"कहा से, कही डाका डाल दिया या फिर अपनी ये बाइक का सौदा कर दिया " उसी दोस्त ने हस्ते हुए कहा
हम्माद को थोड़ा गुस्सा आया और वो उसे मारने आगे बड़ा तब ही उसके दूसरे दोस्त ने उसे रोका और बोला " छोड़ना यार मज़ाक कर रहा है क्यू अपना मूड ख़राब कर रहा है, चल चाय पी "
हम्माद ने अपना गुस्सा शांत किया और चाय पीते हुए बोला " अभी तेरे भाई के इतने बुरे दिन नही आये है की उसे पैसो के लिए डाका डालना पड़ जाए, अभी मेरी तरक्की और मुझे मंजिल पर पंहुचा देखने वाले बहुत से लोग है जो मेरी मदद करने को हर दम तैयार है "
"किसकी बात कर रहा है मेरे भाई " उसी लड़के ने पूछा
"है कुछ लोग " हम्माद ने कहा
"कौन लोग हमें भी तो पता चले की आखिर कौन इतना बड़ा दानी है की अपना पैसा यूं इस तरह अंधी घोड़ी पर लगा रहा है " उस दोस्त ने कहा
"कही वो भाभी तो नही " दूसरे लड़के ने कहा
"क्या ये सच है हम्माद, क्या उस लड़की ज़ोया ने तुझे पैसे दिए है " उसके पास खड़े दोस्त जावेद ने कहा
"हाँ, तो इसमें बुरा ही क्या है वो मुझसे प्यार करती है इसलिए उसने मेरी मदद करने का कहा है " हम्माद ने कहा
"वाह, वाह गर्ल फ्रेंड हो तो ऐसी जो अपना पैसा अपने झूठे बॉयफ्रेंड पर खर्च कर रही है जो एक दिन उसे अपना मकसद पूरा होने पर दूध में गिरी मक्खी जैसा निकाल देगा " दूसरे दोस्त ने कहा
"हाँ, तो इसमें बुरा किया है वैसे भी मुझसे प्यार करती है, कुछ तो फायदा उठाया ही जाए ऐसे ना सही ऐसे ही "हम्माद ने कहा
"तू नही सुधरेगा बेचारी तेरे लिए पैसे ला रही है और तू है की उसे खिलोने की तरह इस्तेमाल कर रहा है " पास बैठे दोस्त ने कहा
"सुधर जाऊंगा तो फिर जियूँगा कैसे, ये लड़कियां तो होती ही बेवक़ूफ़ है जरा से झूठे आंसुओ से ही इनका मन मोम की तरह पिघल जाता है, जैसे की मेरी वाली का पिघल गया, अब बस कल को पैसे मिल जाएंगे और मैं फुर चिड़िया की तरह उड़ जाऊंगा " हम्माद ने कहा सीगरेट जलाते हुए
"यार हम्माद वो ये सब तुझसे प्यार के खातिर कर रही है और तू है की अपनी ही दुनियां में मस्त है, छोड़ यार ये सब मॉडलिंग और एक्टिंग के चोचले अपने अब्बा की दुकान संभाल और उससे शादी कर ले जिम्मेदार लड़के की तरह, इंसान को प्यार नसीब से और ऐसा प्यार करने वाली किस्मत से मिलती है " जावेद ने कहा
"पागल हो गया है क्या, मैं और शादी वो भी उससे हर गिज़ नही " हम्माद ने कहा
"तो फिर उसे छोड़ दे मेरे भाई यूं इस तरह उसकी ज़िन्दगी के साथ मत खेल, उसे झूठे सपने मत दिखा, वो इंसान है कोई खिलौना नही की उसके जज्बातों के साथ कोई इस तरह खेल कर चला जाए " जावेद ने कहा
"चाय पी और मुझे भी पीने दे, मैं जानता हूँ मुझे क्या करना है, मेरा बाप मत बन दोस्त है दोस्त बन कर रह " हम्माद ने जावेद से गुस्से में कहा उसे ऊँगली दिखाते हुए
"ठीक है भाई चुप हो जाता हूँ, लेकिन मेरी बात याद रखना ये दुनियां है और यहाँ पर किए गए अच्छे और बुरे कामों का फल मकाफ़ात के रूप में तुम्हारे सामने आ जाता है जो बोगे वो काटोगे भी " जावेद ने कहा और वहा से चला गया।
"जावेद रुक कहा जा रहा है " वहा बैठे दूसरे दोस्त ने कहा
"जाने दे यार, मुझे लगता है अंदर ही अंदर जल रहा है ये, मुझे इस तरह तरक्की की राह पर चलते देख " हम्माद ने कहा
"सही कहा हम्माद, तू वही कर जो तुझे सही लग रहा है, जब तक उस लड़की से फायदा उठा सकता है उठा ले एक ना एक दिन तो वो किसी और की दुल्हन बन ही जाएगी फिर तू कहा वो कहा " पास बैठे दोस्त ने कहा
"तू ही मेरा असली दोस्त है " हम्माद ने कहा उस पास बैठे लड़के को गले लगा कर
वो दिन गुज़र गया , अगले दिन हम्माद सुबह जल्दी उठ गया और जोया को लेने चला जाता है।
जोया भी खुश थी की वो हम्माद के काम आ रही है , वैसे तो उसे वो बुँदे बेहद पसंद थे वो उसके अब्बू ने दिए थे जब वो तीन साल की थी ।
लेकिन इस समय उन बूंदो की ज़रुरत उसके प्यार को ज्यादा थी, इसलिए उसने उन्हें बेचने का फैसला कर ही लिया था बिना ये सोचे की वो घर में क्या जवाब देगी।
थोड़ी देर बाद वो कॉलेज के लिए निकल गयी हम्माद उसे वही पुरानी जगह पर मिल गया था, उसके साथ जाकर उसने पास ही के सुनार की दुकान पर वो बुँदे बेच दिए और उनसे मिले पैसे उसने हम्माद को दे दिए बिना इस बात की परवाह किए बिना की वो पैसे उसे मिलेंगे भी या नही या फिर वो बुँदे वो कभी खरीद पायेगी भी या नही.
प्यार शायद ऐसा ही होता है , मेहबूब की ख़ुशी के खातिर इंसान अंगारो तक पर हस्ते हस्ते चल लेता है,
हम्माद बहुत ज्यादा खुश था, उसकी दिली तमन्ना पूरी हो गयी थी। उसे एक बार भी ये एहसास नही हुआ कि आखिर क्यू ज़ोया ने अपने बुँदे उसके खातिर बेच दिए क्यू उसके सपने को पूरा करने के लिए उसने अपनी पसंद कि चीज कुर्बान कर दी।
वो ज़ोया को कॉलेज छोड़ आया जोया उन बूंदो के जाने के गम के बजाये खुश थी कि उसकी वजह से हम्माद मुंबई जा सकेगा ।
हम्माद ने तुरन्त ही टिकट बुक करा ली, और चोरी छिपकर पैकिंग करने लगा वो बहुत ज्यादा खुश था उसने वहा का एड्रेस भी निकाल लिया था, उसे मुंबई जाने कि बेहद ख़ुशी थी।
ज़ोया उदास थी कि अब कुछ दिन वो हम्माद से नही मिल सकेगी, लेकिन वो खुश भी थी कि अगर वो कामयाब हुआ तो फिर उसके अब्बू उसके साथ उसकी शादी करा देंगे।
वही दूसरी तरफ तबरेज़ अपनी परेशानियों में जोया के बारे में भूल ही गया था, उसे याद भी नही कि वो कुछ दिन पहले एक अनजान लड़की जिसे वो जानता तक नही था उसे देख कर उसके दिल में कुछ कुछ होने लगा था ।
घर कि और काम कि परेशानी ने उसे भुला ही दिया था और अब तो जुनेद कि बहन कि शादी के दिन नजदीक आ रहे थे तो वो उसमे भी व्यस्त था।
जुनेद को भी समय नही मिला जो वो उससे पूछ सके उस अनजान लड़की के बारे में कि कुछ बात आगे बड़ी या नही।
खेर कुछ दिन बाद हम्माद भी मुंबई के लिए रवाना हो गया जोया से अलविदा ले कर , जोया दुखी थी उसके इस तरह जाने पर , हम्माद भी झूठा मूटा दुखी नज़र आ रहा था जबकी अंदर से तो उसके मन में लड्डू फूट रहे थे ।
जोया उस दिन, दिन भर उदास रही उसकी उदासी के पीछे का कारण कोई नही जानता था उस घर में।
सेहर ने कई बार पूछा कि आखिर वो उदास क्यू है लेकिन जोया ने यहाँ वहाँ कि बात करके बात काट दी और अपने कमरे में चली गयी ।
सेहर भी अपने कामों में लग गयी और बात को रफा दफा कर दिया
आखिर कार जुनेद कि बहन राबिया कि माइयो का दिन आ गया ( एक तरह कि रस्म जो शादी से चार दिन पहले या एक दिन पहले कि जाती है लड़के के घर वाले आकर कुछ रस्म करके दुल्हन को पीले कपडे पहना कर एक कोने में बैठा जाते है शादी के दिन तक के लिए )
जुनेद के घर मेहमानों कि रौनक सजी हुयी थी, तबरेज़ का पूरा घर आज जुनेद के घर पर ही आया हुआ था, जुनेद, आरिफ और उनका छोटा भाई, जुनेद कि मदद करा रहे थे घर के कामों में।
दूल्हा वाले आने वाले ही थे कुछ देर में, खाने का इंतेज़ाम हो चुका था, घर भी सजा दिया गया था
धीरे धीरे मेहमानों कि आमद बढ़ने लगी थी। कुछ औरते तबरेज़ कि अम्मी को घेरे बैठी थी और कह रही थी " आमना बहन तुम भी अब अपने बेटे के निकाह के छुआरे खिला ही दो कब तक कुंवारा रखो गी उसे माशाल्लाह इतना समझदार और हुनर मंद बच्चा है , घर को लेकर चल रहा है बाप के जाने के बाद ऐसे लड़के मिलते कहा है आजकल "
"हाँ बहन मैं तो कल ही करदु उसके हाथ पीले, लेकिन वो है कि अभी शादी करने को मना करता है " आमना ने कहा
"अरे बहन तुम तो बहुत सीधी हो, शरीफ लड़के ऐसे ही होते है वो खुद थोड़ी अपने मुँह से कहते है कि अम्मी मुझे शादी करनी है , ये तो आज कल कि नयी नस्ल की बेहयाई है की भगा कर ले आते है और सीना ठोक कर कहते है की हमने शादी कर ली, जैसे की चीन फतह कर के लाए हो " पास बैठी एक औरत ने कहा।
"फरिया वही बैठी थी उस औरत के मुँह से इस तरह सुन् उसने अपनी सास की तरफ देखा और नज़रे चुरा कर वहाँ से चली गयी
आमना जानती थी की वो उस औरत की बात सुन् कर वहाँ से चली गयी वो उसे रोकने को हुयी किन्तु वो दुल्हन के पास चली गयी ।
तभी पास बैठी दूसरी औरत ने कहा " तुम्हारी बहु अचानक कहा चली गयी इस तरह उठ कर "
"कही नही दुल्हन के पास चली गयी शायद " आमना ने कहा
"शायद तुम्हारी बहु बुरा मान गयी मेरी कही बात का, वो भी तो ऐसे ही आयी थी ना तुम्हारे घर दो कपड़ो में, कैसी निभ रही है बहु के साथ तुम्हारी आमना बहन इस तरह घर से भागी लड़कियों के लक्षण अच्छे नही होते है " उस औरत ने कहा
"भाभी छोटा मुँह बड़ी बात होगी, कहने को वो भाग कर आयी थी मेरे बेटे के साथ लेकिन मेरा अल्लाह गवा है की मैने उसे कभी उस नज़र से नही देखा और वो भी मुझे अपनी सास नही माँ समझती है , ज़रूरी नही घर से भागी हर लड़की अवारा हो उसकी कुछ मजबूरियां भी हो सकती है जिसने उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया हो " आमना ने कहा
"अरे छोड़ो बहन मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी देखो शायद दूल्हा वाले आ गए , सुना है दहेज़ भी आज ही चला जाएगा वैसे तो लड़के वालो ने मना कर दिया था दहेज़ लेने से लेकिन फिर भी आस पड़ोस वालो ने और भाई ने मिलकर दे ही दिया थोड़ा बहुत " उस औरत ने कहा
"भाभी कोई भी लड़की अपने नसीब का लेकर जाती है और ये दहेज़ थोड़ा हो या बहुत लड़की का नसीब नही बदल सकते बस अल्लाह नसीब अच्छा करे शादी के बाद यही हम सब की दुआ होनी चाहिए किसी की भी बहन बेटी को रुक्सत करते समय हर माँ बाप और भाई चाहते है की वो अपनी बहन बेटी को इज़्ज़त के साथ अपने घर का करे और जो कुछ भी उनसे हो पड़ता है वो अपनी बहन बेटी के साथ रुक्सत कर देते है बाकी उसका नसीब " आमना ने कहा और वहाँ से चली गयी
"लगता है आमना बहन को मेरी बातें सही नही लगी , छोड़ो भी हमें क्या " उस औरत ने कहा और बातों में लग गयी
आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिये हर सोमवार
Zakirhusain Abbas Chougule
29-Aug-2022 05:56 PM
Nice
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Ilyana
29-Aug-2022 10:10 AM
Nice part
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Gunjan Kamal
29-Aug-2022 10:07 AM
बेहतरीन भाग लिखा आपने आदरणीय
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